दिल्ली के बुराडी में एक मंदिर का निर्मान कराया जा रहा है जिसका नाम केदारनात मंदिर रखा गया है।
मंदिर के ट्रस्ट ने 10 जुलाई को उत्राखंड के सीम पुषकर सिंग्धामी से इसका शिलान नियास भी करवाया था।
जिसके बाद इस मंदिर के निर्मान में तेजी आये और जब दिल्ली में एक केदारनात मंदिर बनने लगा तो रुद्र प्रयाग में मौझूद केदारनात मंदिर के पुरोहितों ने आपत्ती दर्श कराई।
मूल केदारनात मंदिर में प्रदर्शन शुरू हुए कि जब केदारनात मंदिर एक ही है तो नया मंदिर दिल्ली में बनाने का मतलब क्या है।
अब 15 जुलाई को पत्रकार शंकराचारे से इस मंदिर के सवाल को ले करके मुखाते हुए और फिर से 228 किलो सोने का मुद्धा उठ गया.
गोटाला हो गया आप पत्रकार लोग क्यों नहीं उठाते हो तो जब वहाँ पर गोटाला हो गया तो अब आप दिल्ली में केदारनात बना लोगे वहाँ पर फिर दूसरा गोटाला करोगे 228 किलो सोना केदारनात से गायब कर दिया गया ये कहा का नियम है क्यों नहीं उठात
नहीं होता है और आप आप कहेंगे हम दिल्ली में ही केदारनाथ बना लेंगे यह नहीं हो सकता है
हुआ है
इसके बाद एक से जादा पत्रकार वार्ताओं में स्वामी अविमिक तेशुरानन ने ये इलजाम दोहराया, तो बीकेटीसी समंदिर समिती के अध्यक्ष अजेंद राजय ने 17 जुलाई को पत्रकारों को जवाब दिया और शंकराचारे पर पार्टी पॉलिटिक्स करने के �
एक संत के रूप में मैं स्वामी अभी मुक्तेसरानन जी का बेहत सम्मान करता हूँ
किन्तु आप भी जानते हैं कि स्वामी अभी मुक्तेसरानन जी की सुबह साम लगातार प्रेस कंफरेंज करते रहते हैं
और इतनी प्रेस कंप्रेंस तो साइद राजनेता भी नहीं करते होंगे जितने स्वामी अभिमुक्ते सुरानन जी करते हैं और विबादों को खड़ा करना संसनी फैलाना और चर्चाओं में रहना स्वामी अभिमुक्ते सुरानन जी की फितरत में सामिल है।
और उसके साथ में वो सक्षम अथोर्टी के समक्ष जाएं और सक्षम अथोर्टी के सामने तथ्या प्रस्तूत करें जाच के लिए मांग करें
फिर और बयान सामने आये जैसे केदार सभा के पूर्वध्यक्ष किशन बगवाडी का बयान जिनोंने कहा कि केदारनात मंदिर से सोना ही नहीं चांदी और तामबा भी गायब हुआ है।
स्थिति पूर्व में धर ने काक बिरोध किया था और पूर्व में उससे पहले हमने प्राछुस विवाग यहां पर आया था
गोरुमे
सिला लिख गया है इन चारों कोछ छुपाना दिया के दौरा जो लगाएगी और पर्तमान में
जो सोने का प्रकरण है बार-बार संक्राष चारे स्वामी जी उठा रहे हैं उस प्रकरण को हमने यहां के तीन प्रोजने
संक्राष चारे स्वामी थी उठा रहे हैं उस प्रकार
पूर्व में भी उस प्रकरण को उठाया था कि इस तरह जो है हमारे मंदिर के साथ अनावश्यक छिड़कानी नहीं की जाए
है उसके पुरा तत्तों को जो है न छुपाया जाए लेकिन जो चारे का प्रकरण है जो सोने का प्रकरण है पांच
आदू 128 प्लेट है जो सोने की है वह कहां गई उस पर न्यायिक जात्व क्यों रही हो रही है
इसके बाद जोतिर मठ यानि वो मठ जिसके शंकराचार अविमुक्तेश्वर अनन्द अनुयाई हैं, उनके CEO चंद्रप्रकाश उपाध्याई ने लिखित बयान जारी करके कहा कि यदि बीकेटीसी अध्यक्ष की बाबा केदार में आस्था है,
तो उन्हें बिना देरी किये हुए केदारना धाम सोना प्रकरण की उच्छस्तरीय जांच करानी चाहिए, आखिर कैसे सोना तामबे या पीतल में बदल गया।
उमिद है कि इस मामले का सच जल सामने आएगा और जब आएगा तो हम उसे आप तक ले करके ज़रूर आएंगे
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